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\v 52 और वे उसको दण्डवत् करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए। \v 53 और वे लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर परमेश्‍वर की स्तुति किया करते थे। आमीन।