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\v 32 लूत की पत्‍नी को स्मरण रखो! (उत्प. 19:26, उत्प. 19:17) \v 33 जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, और जो कोई उसे खोए वह उसे बचाएगा।