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\v 37 और निकट आते हुए जब वह जैतून पहाड़ की ढलान पर पहुँचा, तो चेलों की सारी मण्डली उन सब सामर्थ्य के कामों के कारण जो उन्होंने देखे थे, आनन्दित होकर बड़े शब्द से परमेश्‍वर की स्तुति करने लगी: (जक. 9:9) \v 38 “धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है!
स्वर्ग में शान्ति और आकाश में महिमा हो!” (भज. 72:18-19, भज. 118:26)