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\v 48 और उसने स्त्री से कहा, “तेरे पाप क्षमा हुए।” \v 49 तब जो लोग उसके साथ भोजन करने बैठे थे, वे अपने-अपने मन में सोचने लगे, “यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है?” \v 50 पर उसने स्त्री से कहा, “तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, शांतिपूर्वक चली जा।”