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\v 12 ये तुम्हारे प्रेम-भोजों में तुम्हारे साथ खाते-पीते, समुद्र में छिपी हुई खतरनाक चट्टानों के सामान हैं , जो बेधड़क अपना ही पेट भरते हैं। ये निर्जल बादल हैं; जिन्हें हवा उड़ा ले जाती है; पतझड़ के निष्फल पेड़ हैं, जो दो बार मर चुके हैं; और जड़ से उखड़ गए हैं; (2 पत. 2:17, इफि. 4:14, यूह. 15:4-6) \v 13 ये समुद्र की प्रचण्ड लहरें हैं, जो अपनी लज्जा का फेन भड़काते हैं। ये भटकते तारे हैं, जिनके लिये सदा काल तक घोर अंधकार रखा गया है। (यशा. 57:20) |