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\v 9 \v 10 \v 11 9  परन्तु प्रधान स्वर्गदूत मीकाईल ने, जब शैतान से मूसा के शव के विषय में वाद-विवाद कर रहा था, उसको बुरा-भला कहके दोष लगाने का साहस न किया; परन्तु यह कहा, “प्रभु तुझे डाँटे।” 10  ये लोग जिन बातों को नहीं जानते, उन के विषय में बुरा-भला कहते हैं; पर जिन बातों को निर्बुद्धि पशुओं के समान स्वाभाविक रूप से जानते ही हैं, उन बातों में अपने आप को नाश कर लेते हैं। 11  उन पर हाय! क्योंकि उन्होंने कैन के समान चाल चला, और धन के लाभ/लालच के लिये बिलाम के समान भ्रष्ट हो गए हैं और कोरह के समान विरोध करके नाश हुए हैं। (उत्प. 4:3-8, गिन. 16:19-35, गिन. 22:7, 2 पत. 2:15, 1 यूह. 3:12, गिन. 24:12-14)
\v 9 परन्तु प्रधान स्वर्गदूत मीकाईल ने, जब शैतान से मूसा के शव के विषय में वाद-विवाद कर रहा था, उसको बुरा-भला कहके दोष लगाने का साहस न किया; परन्तु यह कहा, “प्रभु तुझे डाँटे।” \v 10 ये लोग जिन बातों को नहीं जानते, उन के विषय में बुरा-भला कहते हैं; पर जिन बातों को निर्बुद्धि पशुओं के समान स्वाभाविक रूप से जानते ही हैं, उन बातों में अपने आप को नाश कर लेते हैं। \v 11 उन पर हाय! क्योंकि उन्होंने कैन के समान चाल चला, और धन के लाभ/लालच के लिये बिलाम के समान भ्रष्ट हो गए हैं और कोरह के समान विरोध करके नाश हुए हैं। (उत्प. 4:3-8, गिन. 16:19-35, गिन. 22:7, 2 पत. 2:15, 1 यूह. 3:12, गिन. 24:12-14)

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\v 12 \v 13 12  ये तुम्हारे प्रेम-भोजों में तुम्हारे साथ खाते-पीते, समुद्र में छिपी हुई खतरनाक चट्टानों के सामान हैं , जो बेधड़क अपना ही पेट भरते हैं। ये निर्जल बादल हैं; जिन्हें हवा उड़ा ले जाती है; पतझड़ के निष्फल पेड़ हैं, जो दो बार मर चुके हैं; और जड़ से उखड़ गए हैं; (2 पत. 2:17, इफि. 4:14, यूह. 15:4-6) \v 13 ये समुद्र की प्रचण्ड लहरें हैं, जो अपनी लज्जा का फेन भड़काते हैं। ये भटकते तारे हैं, जिनके लिये सदा काल तक घोर अंधकार रखा गया है। (यशा. 57:20)

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