From 99d082d7a880d90800e39b8941d973c6572b8cb4 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Sat, 23 Nov 2024 20:09:28 +0530 Subject: [PATCH] Sat Nov 23 2024 20:09:28 GMT+0530 (India Standard Time) --- 02/01.txt | 2 +- 02/05.txt | 1 + 02/08.txt | 1 + manifest.json | 5 ++++- 4 files changed, 7 insertions(+), 2 deletions(-) create mode 100644 02/05.txt create mode 100644 02/08.txt diff --git a/02/01.txt b/02/01.txt index 5df93b0..3137c13 100644 --- a/02/01.txt +++ b/02/01.txt @@ -1 +1 @@ -\c 2 \v 1 \v 2 \v 3 \v 4 अब मैं सबसे पहले यह आग्रह करता हूँ, कि विनती, प्रार्थना, निवेदन, धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएँ, राजाओं और सब ऊँचे पदवालों के निमित्त इसलिए कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गरिमा में जीवन बिताएँ। यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर को अच्छा लगता और भाता भी है, जो यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली-भाँति पहचान लें। \ No newline at end of file +\c 2 \v 1 अब मैं सबसे पहले यह आग्रह करता हूँ, कि विनती, प्रार्थना, निवेदन, धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएँ, \v 2 राजाओं और सब ऊँचे पदवालों के निमित्त इसलिए कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गरिमा में जीवन बिताएँ। \v 3 यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर को अच्छा लगता और भाता भी है, \v 4 जो यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली-भाँति पहचान लें। \ No newline at end of file diff --git a/02/05.txt b/02/05.txt new file mode 100644 index 0000000..862a764 --- /dev/null +++ b/02/05.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 5 क्योंकि परमेश्‍वर एक ही है, और परमेश्‍वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है, \v 6 जिसने अपने आप को सबके छुटकारे के दाम में दे दिया; ताकि उसकी गवाही ठीक समयों पर दी जाए, \v 7 मैं मसीह में सच कहता हूँ, झूठ नहीं बोलता, कि मैं इसी उद्देश्य से प्रचारक और प्रेरित और अन्यजातियों के लिये विश्वास और सत्य का उपदेशक ठहराया गया। \ No newline at end of file diff --git a/02/08.txt b/02/08.txt new file mode 100644 index 0000000..694c931 --- /dev/null +++ b/02/08.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 8 इसलिए मैं चाहता हूँ, कि हर जगह पुरुष बिना क्रोध और शक के पवित्र हाथों को उठाकर प्रार्थना किया करें, \v 9 वैसे ही स्त्रियाँ भी संकोच और संयम के साथ सुहावने वस्त्रों से अपने आप को संवारे; न कि बाल गूँथने, सोने, मोतियों, और बहुमूल्य कपड़ों से, \v 10 पर भले कामों से, क्योंकि परमेश्‍वर की भक्ति करनेवाली स्त्रियों को यही उचित भी है। \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index f7eb89f..450fe1e 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -45,6 +45,9 @@ "01-12", "01-15", "01-18", - "02-title" + "02-title", + "02-01", + "02-05", + "02-08" ] } \ No newline at end of file