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\v 8 क्योंकि अब यदि तुम प्रभु में स्थिर रहो तो हम जीवित हैं। \v 9 और जैसा आनन्द हमें तुम्हारे कारण अपने परमेश्‍वर के सामने है, उसके बदले तुम्हारे विषय में हम किस रीति से परमेश्‍वर का धन्यवाद करें? \v 10 हम रात दिन बहुत ही प्रार्थना करते रहते हैं, कि तुम्हारा मुँह देखें, और तुम्हारे विश्वास की घटी पूरी करें।