hi_1jn_text_ulb/03/19.txt

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\s परमेश्‍वर के सम्मुख साहस
\p \v 19 इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उस विषय में हम उसके सामने अपने मन को आश्वस्त कर सकेंगे। \v 20 क्योंकि परमेश्‍वर हमारे मन से बड़ा है*; और सब कुछ जानता है। \v 21 हे प्रियों, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो हमें परमेश्‍वर के सामने साहस होता है। \v 22 और जो कुछ हम माँगते हैं, वह हमें उससे मिलता है; क्योंकि हम उसकी आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं।