From a5cb78658d2603f1b9695202356fe0c40d3cb960 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Tue, 17 Dec 2024 12:21:33 +0530 Subject: [PATCH] Tue Dec 17 2024 12:21:32 GMT+0530 (India Standard Time) --- 05/04.txt | 3 +-- 05/06.txt | 3 ++- 05/09.txt | 3 +-- 05/11.txt | 3 ++- 05/16.txt | 3 +-- 05/18.txt | 3 ++- manifest.json | 6 ------ 7 files changed, 9 insertions(+), 15 deletions(-) diff --git a/05/04.txt b/05/04.txt index 4b80a9f..63ed62d 100644 --- a/05/04.txt +++ b/05/04.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 4 क्योंकि जो कुछ परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिससे संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है। \v 5 संसार पर जय पानेवाला कौन है? केवल वह जिसका विश्वास है, कि यीशु, परमेश्‍वर का पुत्र है। -मसीह के विषय गवाही \ No newline at end of file +\v 4 क्योंकि जो कुछ परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिससे संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है। \v 5 संसार पर जय पानेवाला कौन है? केवल वह जिसका विश्वास है, कि यीशु, परमेश्‍वर का पुत्र है। \ No newline at end of file diff --git a/05/06.txt b/05/06.txt index 182cabe..f05a5df 100644 --- a/05/06.txt +++ b/05/06.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 6 यह वही है, जो पानी और लहू के द्वारा आया था; अर्थात् यीशु मसीह: वह न केवल पानी के द्वारा, वरन् पानी और लहू दोनों के द्वारा आया था। और यह आत्मा है जो गवाही देता है, क्योंकि आत्मा सत्य है। \v 7 और गवाही देनेवाले तीन हैं; \v 8 आत्मा, पानी, और लहू; और तीनों एक ही बात पर सहमत हैं। \ No newline at end of file +\s मसीह के विषय गवाही +\p \v 6 यह वही है, जो पानी और लहू के द्वारा आया था; अर्थात् यीशु मसीह: वह न केवल पानी के द्वारा, वरन् पानी और लहू दोनों के द्वारा आया था। और यह आत्मा है जो गवाही देता है, क्योंकि आत्मा सत्य है। \v 7 और गवाही देनेवाले तीन हैं; \v 8 आत्मा, पानी, और लहू; और तीनों एक ही बात पर सहमत हैं। \ No newline at end of file diff --git a/05/09.txt b/05/09.txt index 3fa52a0..0824825 100644 --- a/05/09.txt +++ b/05/09.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 9 जब हम मनुष्यों की गवाही मान लेते हैं, तो परमेश्‍वर की गवाही तो उससे बढ़कर है; और परमेश्‍वर की गवाही* यह है, कि उसने अपने पुत्र के विषय में गवाही दी है। \v 10 जो परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह अपने ही में गवाही रखता है; जिस ने परमेश्‍वर पर विश्वास नहीं किया, उसने उसे झूठा ठहराया; क्योंकि उसने उस गवाही पर विश्वास नहीं किया, जो परमेश्‍वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है। -अनन्त जीवन \ No newline at end of file +\v 9 जब हम मनुष्यों की गवाही मान लेते हैं, तो परमेश्‍वर की गवाही तो उससे बढ़कर है; और परमेश्‍वर की गवाही* यह है, कि उसने अपने पुत्र के विषय में गवाही दी है। \v 10 जो परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह अपने ही में गवाही रखता है; जिस ने परमेश्‍वर पर विश्वास नहीं किया, उसने उसे झूठा ठहराया; क्योंकि उसने उस गवाही पर विश्वास नहीं किया, जो परमेश्‍वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है। \ No newline at end of file diff --git a/05/11.txt b/05/11.txt index 2742ea2..37a5bfe 100644 --- a/05/11.txt +++ b/05/11.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 11 और वह गवाही यह है, कि परमेश्‍वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है और यह जीवन उसके पुत्र में है। \v 12 जिसके पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिसके पास परमेश्‍वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है। \ No newline at end of file +\s अनन्त जीवन +\p \v 11 और वह गवाही यह है, कि परमेश्‍वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है और यह जीवन उसके पुत्र में है। \v 12 जिसके पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिसके पास परमेश्‍वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है। \ No newline at end of file diff --git a/05/16.txt b/05/16.txt index e58cc1e..760390b 100644 --- a/05/16.txt +++ b/05/16.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 16 यदि कोई अपने भाई को ऐसा पाप करते देखे, जिसका फल मृत्यु न हो, तो विनती करे, और परमेश्‍वर उसे उनके लिये, जिन्होंने ऐसा पाप किया है जिसका फल मृत्यु न हो, जीवन देगा। पाप ऐसा भी होता है जिसका फल मृत्यु है इसके विषय में मैं विनती करने के लिये नहीं कहता। \v 17 सब प्रकार का अधर्म तो पाप है, परन्तु ऐसा पाप भी है, जिसका फल मृत्यु नहीं। -निष्कर्ष \ No newline at end of file +\v 16 यदि कोई अपने भाई को ऐसा पाप करते देखे, जिसका फल मृत्यु न हो, तो विनती करे, और परमेश्‍वर उसे उनके लिये, जिन्होंने ऐसा पाप किया है जिसका फल मृत्यु न हो, जीवन देगा। पाप ऐसा भी होता है जिसका फल मृत्यु है इसके विषय में मैं विनती करने के लिये नहीं कहता। \v 17 सब प्रकार का अधर्म तो पाप है, परन्तु ऐसा पाप भी है, जिसका फल मृत्यु नहीं। \ No newline at end of file diff --git a/05/18.txt b/05/18.txt index 3221f1c..1f4a7f7 100644 --- a/05/18.txt +++ b/05/18.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 18 हम जानते हैं, कि जो कोई परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुआ है, वह पाप नहीं करता; पर जो परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुआ, उसे वह बचाए रखता है: और वह दुष्ट उसे छूने नहीं पाता। \v 19 हम जानते हैं, कि हम परमेश्‍वर से हैं, और सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है। \ No newline at end of file +\s निष्कर्ष +\p \v 18 हम जानते हैं, कि जो कोई परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुआ है, वह पाप नहीं करता; पर जो परमेश्‍वर से उत्‍पन्‍न हुआ, उसे वह बचाए रखता है: और वह दुष्ट उसे छूने नहीं पाता। \v 19 हम जानते हैं, कि हम परमेश्‍वर से हैं, और सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है। \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index ccd282c..d0de806 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -59,13 +59,7 @@ "04-19", "05-title", "05-01", - "05-04", - "05-06", - "05-09", - "05-11", "05-13", - "05-16", - "05-18", "05-20" ] } \ No newline at end of file