From 9084cc2919a0cbc1d957379d3f4e4815e1f6eb70 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Vachaa Date: Tue, 17 Dec 2024 12:17:33 +0530 Subject: [PATCH] Tue Dec 17 2024 12:17:32 GMT+0530 (India Standard Time) --- 01/03.txt | 3 +-- 01/05.txt | 3 ++- 02/04.txt | 3 +-- 02/07.txt | 3 ++- 02/09.txt | 3 +-- manifest.json | 5 ----- 6 files changed, 7 insertions(+), 13 deletions(-) diff --git a/01/03.txt b/01/03.txt index 7c91be5..9a54e29 100644 --- a/01/03.txt +++ b/01/03.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 3 जो कुछ हमने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिए कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। \v 4 और ये बातें हम इसलिए लिखते हैं, कि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए*। -परमेश्‍वर के साथ सहभागिता \ No newline at end of file +\v 3 जो कुछ हमने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिए कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। \v 4 और ये बातें हम इसलिए लिखते हैं, कि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए*। \ No newline at end of file diff --git a/01/05.txt b/01/05.txt index 8a26bf9..c3a37af 100644 --- a/01/05.txt +++ b/01/05.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 5 जो समाचार हमने उससे सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है; कि परमेश्‍वर ज्योति हैं और उसमें कुछ भी अंधकार नहीं*। \v 6 यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अंधकार में चलें, तो हम झूठ बोलते है और सत्य पर नहीं चलते। \v 7 पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं और उसके पुत्र यीशु मसीह का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है। (यशा. 2:5) \ No newline at end of file +\s परमेश्‍वर के साथ सहभागिता +\p \v 5 जो समाचार हमने उससे सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है; कि परमेश्‍वर ज्योति हैं और उसमें कुछ भी अंधकार नहीं*। \v 6 यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अंधकार में चलें, तो हम झूठ बोलते है और सत्य पर नहीं चलते। \v 7 पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं और उसके पुत्र यीशु मसीह का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है। (यशा. 2:5) \ No newline at end of file diff --git a/02/04.txt b/02/04.txt index 0c241dc..9f059fa 100644 --- a/02/04.txt +++ b/02/04.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 4 जो कोई यह कहता है, “मैं उसे जान गया हूँ,” और उसकी आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है; और उसमें सत्य नहीं। \v 5 पर जो कोई उसके वचन पर चले, उसमें सचमुच परमेश्‍वर का प्रेम सिद्ध हुआ है।* हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उसमें हैं। \v 6 जो कोई यह कहता है, कि मैं उसमें बना रहता हूँ, उसे चाहिए कि वह स्वयं भी वैसे ही चले जैसे यीशु मसीह चलता था। -सबसे प्रेम करो \ No newline at end of file +\v 4 जो कोई यह कहता है, “मैं उसे जान गया हूँ,” और उसकी आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है; और उसमें सत्य नहीं। \v 5 पर जो कोई उसके वचन पर चले, उसमें सचमुच परमेश्‍वर का प्रेम सिद्ध हुआ है।* हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उसमें हैं। \v 6 जो कोई यह कहता है, कि मैं उसमें बना रहता हूँ, उसे चाहिए कि वह स्वयं भी वैसे ही चले जैसे यीशु मसीह चलता था। \ No newline at end of file diff --git a/02/07.txt b/02/07.txt index 1471d84..c99a759 100644 --- a/02/07.txt +++ b/02/07.txt @@ -1 +1,2 @@ -\v 7 हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर वही पुरानी आज्ञा जो आरम्भ से तुम्हें मिली है; यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम ने सुना है। \v 8 फिर भी मैं तुम्हें नई आज्ञा लिखता हूँ; और यह तो उसमें और तुम में सच्ची ठहरती है; क्योंकि अंधकार मिटता जा रहा है और सत्य की ज्योति अभी चमकने लगी है। \ No newline at end of file +\s सबसे प्रेम करो +\p \v 7 हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर वही पुरानी आज्ञा जो आरम्भ से तुम्हें मिली है; यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम ने सुना है। \v 8 फिर भी मैं तुम्हें नई आज्ञा लिखता हूँ; और यह तो उसमें और तुम में सच्ची ठहरती है; क्योंकि अंधकार मिटता जा रहा है और सत्य की ज्योति अभी चमकने लगी है। \ No newline at end of file diff --git a/02/09.txt b/02/09.txt index ab17fbf..f6f8eb5 100644 --- a/02/09.txt +++ b/02/09.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 9 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूँ; और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अंधकार ही में है। \v 10 जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। \v 11 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अंधकार में है, और अंधकार में चलता है*; और नहीं जानता, कि कहाँ जाता है, क्योंकि अंधकार ने उसकी आँखें अंधी कर दी हैं। -पत्री लिखने का कारण \ No newline at end of file +\v 9 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूँ; और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अंधकार ही में है। \v 10 जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। \v 11 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अंधकार में है, और अंधकार में चलता है*; और नहीं जानता, कि कहाँ जाता है, क्योंकि अंधकार ने उसकी आँखें अंधी कर दी हैं। \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 63ebcf1..2fdb073 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -39,14 +39,9 @@ "front-title", "01-title", "01-01", - "01-03", - "01-05", "01-08", "02-title", "02-01", - "02-04", - "02-07", - "02-09", "02-12", "02-15", "02-18",