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\v 20 (20) पण आयनी स्वदेश स्वर्ग म सहा अंन आयु यक उदधारकरनारो प्रभु यीशु मसीह नी जाग ती यवानी वाट देखुन सइ \p \v 21 (२१) तो तिनी शक्ती नो तो प्रभाव नी अनुसार जिनी वजय थी ती बट वस्तु भला नीनी वचन करी सकत सइ आयनी दिन हीन देह नी रुय बदलीन तीनी महिमा नी देह अनुकूल बनावी दीही ।
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