Fri Apr 22 2016 20:18:21 GMT+0530 (India Standard Time)
This commit is contained in:
parent
472da44dff
commit
5a0eb7ca53
|
@ -1 +1 @@
|
|||
इस तहरेया पुरे जगत की रचना होई| पणमेशर नै छह दिन्या महै ज्यो जगत अर ज्यों कीमे सै रचा |पंणमेश्वर के धरती बनाने के पिच्छे धरती अंधेरे ते भरी अर सुन्नी पड़ी थी, अर उस्मै कीमे भी न्ही बनाया गया था | लेकिन पणमेश्वर का आत्मा पाणी के उपर था |
|
||||
इस तहरेया पुरे जगत की रचना होई| पणमेशर नै छह दिन्या महै ज्यो जगत अर ज्यों कीमे सै रचा |पंणमेश्वर के धरती बनाने के पिच्छे धरती अंधेरे ते भरी अर सुन्नी पड़ी थी, अर उस्मै कीमे भी न्ही बनाया गया था | लेकिन पणमेश्वर का आत्मा पाणी के उपर था |
|
|
@ -1 +1 @@
|
|||
सृष्टि के दूसरे दिन, पणमेशवर ने कहया अर धरती के ऊपर अकाश को बणाया|
|
||||
सृष्टि के दूसरे दिन, पणमेशवर ने कहया अर धरती के ऊपर अकाश को बणाया|
|
|
@ -1 +1 @@
|
|||
तीसरे दिन, पणमेश्वर ने कहया अर पाणी को सूखी धरती ते न्यारा करया | पणमेश्वर न सूखी धरती को " धरती" कहय; अर ज्यों पाणी कठठा होया उसतै उस्नै " समुदर" कहया |
|
||||
तीसरे दिन, पणमेश्वर ने कहया अर पाणी को सूखी धरती ते न्यारा करया | पणमेश्वर न सूखी धरती को " धरती" कहय; अर ज्यों पाणी कठठा होया उसतै उस्नै " समुदर" कहया |
|
|
@ -1,7 +1 @@
|
|||
फेर पणमेश्वर नै कह्या'"धरती पे सारी ढाळ के पेड़ पौधे उगै |अर उसाये हो गया| पणमेश्वर ने देख्यां के ज्यो सृष्टि उसने करी सै वोआच्छी सै|
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
फेर पणमेश्वर नै कह्या'"धरती पे सारी ढाळ के पेड़ पौधे उगै |अर उसाये हो गया| पणमेश्वर ने देख्यां के ज्यो सृष्टि उसने करी सै वोआच्छी सै|
|
|
@ -1 +1 @@
|
|||
सृष्टि के चोथै दिन, पणमेश्वर ने कहया अर सूर्य, चंद्रमा , अर सितारो को बणया | पणमेश्वर ने धरती को उजाणा देणये की खातेर अर दिन अर रात , मोसमों अर सालों को चिहिनत करणै की खातैर उनताहि बणाया |
|
||||
सृष्टि के चोथै दिन, पणमेश्वर ने कहया अर सूर्य, चंद्रमा , अर सितारो को बणया | पणमेश्वर ने धरती को उजाणा देणये की खातेर अर दिन अर रात , मोसमों अर सालों को चिहिनत करणै की खातैर उनताहि बणाया |
|
|
@ -1 +1 @@
|
|||
पाचमे दिन , पणमेश्वर ने कहया अर पाणी म्ह तीरण आळैै सारेया ने अर सारे पक्षियों को बणाया | पणमेश्वर ने देख्या के आच्छा सैै , अर उनताही आशीष देया |
|
||||
पाचमे दिन , पणमेश्वर ने कहया अर पाणी म्ह तीरण आळैै सारेया ने अर सारे पक्षियों को बणाया | पणमेश्वर ने देख्या के आच्छा सैै , अर उनताही आशीष देया |
|
|
@ -1,3 +1 @@
|
|||
सृष्टि के छठे दिन पै , पणमेश्वर ने कहया " सारे ढाण की धरती के जनवर हो जायै !" अर यो पंणमेश्वर ने जिस्या कहया उसाये हो ग्या | किम्मै जमीन पे रेगने आळे , किम्मै खेत आळै अर किम्मै जंगली जानवर थै | अर पणमेश्वर ने देख्या कि यों आच्छा सै|
|
||||
|
||||
|
||||
सृष्टि के छठे दिन पै , पणमेश्वर ने कहया " सारे ढाण की धरती के जनवर हो जायै !" अर यो पंणमेश्वर ने जिस्या कहया उसाये हो ग्या | किम्मै जमीन पे रेगने आळे , किम्मै खेत आळै अर किम्मै जंगली जानवर थै | अर पणमेश्वर ने देख्या कि यों आच्छा सै|
|
|
@ -1,2 +1,2 @@
|
|||
फेर पणमेश्वर ने कहया, " आपी माणसा को अपणा रूप में म्हारे
|
||||
जिस्या बणाएगे | उणके धोरया धरतीे अर सारे जानवरों पै अधिकार होवैगा |"
|
||||
जिस्या बणाएगे | उणके धोरया धरतीे अर सारे जानवरों पै अधिकार होवैगा |"
|
|
@ -1,2 +1 @@
|
|||
फेर पणमेश्वर ने किम्मे माट्टी ली,अर उसते एक माणस बणाया, अर उसमे जीवण की सांस फूँक दी इस माणस का नां आदम था पणमेश्वर ने आदम के रहण खातर एक बगीचा बणाया| अर बगीचा की रुखाळी करण खातर उड़े राख्या |
|
||||
|
||||
फेर पणमेश्वर ने किम्मे माट्टी ली,अर उसते एक माणस बणाया, अर उसमे जीवण की सांस फूँक दी इस माणस का नां आदम था पणमेश्वर ने आदम के रहण खातर एक बगीचा बणाया| अर बगीचा की रुखाळी करण खातर उड़े राख्या |
|
|
@ -1,6 +1 @@
|
|||
बगीचे के बीच म्ह,पणमेश्वर ने दो खास पेड़ जीवण का पेड़ अर आच्छे अर बुरे के ज्ञान का पेड़ लगाया| पणमेश्वर ने आदम ते कह्या के वो आच्छे अर बुरे के ज्ञान के पेड़ के फल को छोड़ बगीचे के किस्से भी पेड़ का फल खा सके सै |जै वो इस पेड़ का फल खावे ,तो मर जावैगा |
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
बगीचे के बीच म्ह,पणमेश्वर ने दो खास पेड़ जीवण का पेड़ अर आच्छे अर बुरे के ज्ञान का पेड़ लगाया| पणमेश्वर ने आदम ते कह्या के वो आच्छे अर बुरे के ज्ञान के पेड़ के फल को छोड़ बगीचे के किस्से भी पेड़ का फल खा सके सै |जै वो इस पेड़ का फल खावे ,तो मर जावैगा |
|
|
@ -1,3 +1,2 @@
|
|||
फेर पणमेश्वर ने कह्या "माणस का एकला रहणा आच्छा कोण्या सै| पर जिनावरां म्ह ते कोई भी माणस का सहायक न्ही बण सकै
|
||||
था |
|
||||
|
||||
फेर पणमेश्वर ने कह्या "माणस का एकला रहणा आच्छा कोण्या सै| पर जिनावरां म्ह ते कोई भी माणस का सहायक न्ही बण सकै
|
||||
था |
|
|
@ -1,2 +1,2 @@
|
|||
जायतै पणमेश्वर ने आदम ताहि भारी नीद म्ह गेर दिया | फेर
|
||||
जायतै पणमेश्वर ने आदम ताहि भारी नीद म्ह गेर दिया | फेर
|
||||
पणमेश्वर ने आदम की पासळी म्ह ते एक लुगाई बणाई अर आदम के धोरै लाया |
|
|
@ -1 +1 @@
|
|||
जदै आदम ने उसताही देख्या , वो बोल्या ! आखर म्ह या मेरे जिसी सै वा माणस म्ह तै माणस बणाई गई सै जायतैै उसताही लुगाई केे नां तै जाणया जावैगा |" योहे कारण सै के एक माणस अपणै बाप अर माँ नै छोड़ कै घरआळी की गैल्या एक हो जावै सै |
|
||||
जदै आदम ने उसताही देख्या , वो बोल्या ! आखर म्ह या मेरे जिसी सै वा माणस म्ह तै माणस बणाई गई सै जायतैै उसताही लुगाई केे नां तै जाणया जावैगा |" योहे कारण सै के एक माणस अपणै बाप अर माँ नै छोड़ कै घरआळी की गैल्या एक हो जावै सै |
|
|
@ -1,4 +1 @@
|
|||
पणमेश्वर ने अपणे सरूप म्ह माणस अर लुगाई ताहि बणाया |अर पणमेश्वर ने देख्या के आच्छा सै| उसनैै उन्ताही आशिष दिया अर उनते कह्या "घणै छोरये अर पोतये जाम्मो अर धरती म्ह भर जाओ " या सारी रचना सृष्टि के छट्टे दिन म्ह होया|
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
पणमेश्वर ने अपणे सरूप म्ह माणस अर लुगाई ताहि बणाया |अर पणमेश्वर ने देख्या के आच्छा सै| उसनैै उन्ताही आशिष दिया अर उनते कह्या "घणै छोरये अर पोतये जाम्मो अर धरती म्ह भर जाओ " या सारी रचना सृष्टि के छट्टे दिन म्ह होया|
|
|
@ -1 +1 @@
|
|||
जिब सातवांं दिन आया , तो पणमेश्वर ने अपणा काम पूरा कर लिया था |ज्याते पणमेश्वर ने जो किम्मे वो करया था उन सब ते आराम लिया| उसनै सातवें दिन ताही आशिष दिया अर पवित्र बणाया| क्युके इस दिन पणमेश्वर ने आपणे काम ते आराम लिया था इस तरिया पणमेश्वर नै वो जगत अर जो किम्मे उसमै सै बणाया|
|
||||
जिब सातवांं दिन आया , तो पणमेश्वर ने अपणा काम पूरा कर लिया था |ज्याते पणमेश्वर ने जो किम्मे वो करया था उन सब ते आराम लिया| उसनै सातवें दिन ताही आशिष दिया अर पवित्र बणाया| क्युके इस दिन पणमेश्वर ने आपणे काम ते आराम लिया था इस तरिया पणमेश्वर नै वो जगत अर जो किम्मे उसमै सै बणाया|
|
|
@ -0,0 +1 @@
|
|||
2. pap
|
Loading…
Reference in New Issue