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फेर पणमेश्वर ने लुगाई ते कहया ," मे थारे जामण के दर्द नै घणाया बढ़ा दूगां |थारी आश अपणै माणस की और होवएगी, अर वो थारै पै राज करयेगा |"
फेर पणमेश्वर ने लुगाई ते कहया ," मे थारे जामण के दर्द नै घणाया बढ़ा दूगां |थारी आश अपणै माणस की और होवएगी, अर वो थारै पै राज करयेगा |"

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पणमेश्वर ने माणस ते कहया ," तैने अपणी लुगाई की बातं सूणी
अर मेरी हुक्म नहीं मान्या | इब धरती शापित सै, अर थम उसकी उपज खाणै की खातेर सखत महनेत करणी होवेगी | फेर थम मर जावेगो , अर थारी देह फेर माटी म्ह मिल जावैगा| माणस ने अपणी लुगाई का नां हव्वा धरया, जिसका अरथ होवेय सै जगत जननी क्युके वो सारे माणस - जात माँ कुहवगी| अर पणमेश्वर ने जिनावर की खाल तेआदम अर हव्वा को ढकया|
अर मेरी हुक्म नहीं मान्या | इब धरती शापित सै, अर थम उसकी उपज खाणै की खातेर सखत महनेत करणी होवेगी | फेर थम मर जावेगो , अर थारी देह फेर माटी म्ह मिल जावैगा| माणस ने अपणी लुगाई का नां हव्वा धरया, जिसका अरथ होवेय सै जगत जननी क्युके वो सारे माणस - जात माँ कुहवगी| अर पणमेश्वर ने जिनावर की खाल तेआदम अर हव्वा को ढकया|

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एकghanne, घणयै सै माणस जगत म्ह रहणै लागै थे| व्यो घणयै दुष्ट अर अपराधी हो गेया सै | वयो घणायै बुरा हो गईया | जदयै पणमेश्वर ने निर्णय लेया कि वयो एक विशाल बाढ़ के कारण इसै सारे जगत को ख्तेम कर देवेगा |
एक घण सै माणस जगत म्ह रहणै लागै थे| व्यो घणयै दुष्ट अर अपराधी हो गेया सै | वयो घणायै बुरा हो गईया | जदयै पणमेश्वर ने निर्णय लेया कि वयो एक विशाल बाढ़ के कारण इसै सारे जगत को ख्तेम कर देवेगा |